ज़िंदगी का सफ़र है ये कैसा सफ़र
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
ज़िंदगी का सफ़र है ये कैसा सफ़र
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
है ये कैसी डगर चलते हैं सब मगर
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
है ये कैसी डगर चलते हैं सब मगर
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
ज़िंदगी को बहुत प्यार हमने दिया
मौत से भी मोहब्बत निभाएँगे हम
रोते रोते ज़माने में आए मगर
हंसते हंसते ज़माने से जाएँगे हम
रोते रोते ज़माने में आए मगर
हंसते हंसते ज़माने से जाएँगे हम
जाएँगे पर किधर है किसे ये खबर
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
ऐसे जीवन भी हैं जो जिए ही नहीं
जिनको जीने से पहले ही मौत आ गयी
फूल ऐसे भी हैं जो खिले ही नहीं
जिनको खिलने से पहले फ़िज़ा खा गई
फूल ऐसे भी हैं जो खिले ही नहीं
जिनको खिलने से पहले फ़िज़ा खा गई
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